Saturday 19 March 2016

सर्राफा व्यापारी की हड़ताल पर सरकार खामोश क्यों


 आम आदमी की नजर में  सबसे सरल और सुरक्षित बचत का साधन ज्यूलरी है। जो वक़्त- जरूरत उसके काम आती है।  किसी  भी समय  कैश की जा सकती है।  इसीलिए भारतीय लोग सबसे ज्यादा ज्यूलरी  पर इन्वेस्ट करते हैं।
विशेष रूप से गाँव -देहात में तो बहुत बड़े पैमाने पर लोगो की जरूरते इसी के माध्यम से पूरी होती हैं।  जब जरूरत पड़ी गिरवीं रख दी या बेंच दी। और जब जरूरत हुई खरीद ली।  इस तरह से  छण भर में उनकी जरूरत पूरी हो जाती हैं।    गांव का गरीब किसान तो अपनी फसल पैदा करने के लिए इसी पर निर्भर रहता है।  फसल उगाने  के लिए बीज , खाद की जरूरते  ज्यूलरी गिरवीं रख कर पूरी करता है और जैसे ही फसल तैयार होती है उसे बेंच अपनी  ज्यूलरी छुड़वा लेता है।  
कहने का आशय यह है कि आम आदमी के लिए बचत का सबसे सरल साधन ज्यूलरी है।
सरकार का उद्देश्य भी  बचत को बढ़ावा देना होता  है इसीलिए  इन्कम  टैक्स में बचत पर तरह - तरह की छूट देती है।  लेकिन जिस तरह की योजनाओ पर सरकार इन्कम  टैक्स में छूट देती है वह केवल नौकरीपेशा के लिए हैं।  आम आदमी के लिए तो ज्यूलरी ही बचत का श्रेष्ठ साधन है।
अब आता हूँ मुख्य मुद्दे पर कि इस बार वित्त मंत्री ने लोगो की इस बचत पर टैक्स लगा दिया है।  सर्राफा व्यापारी इस तरह के टैक्स के खिलाफ एक तरह से आम आदमी के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।  पिछले कई दिनों से अपनी दुकाने बंद रख कर हड़ताल किये हुए हैं।  दूसरी तरफ वित्त मंत्री इस पर अड़ियल रुख अपनाये हुए हैं।  उन्हें आम आदमी से कोई मतलब नहीं क्योकि वह न आम आदमी थे और न हैं।
मोदी जी के शब्दों में कहा जाय  तो जैसे वह राहुल गांधी के लिए मुहावरा प्रयोग करते थे कि वह तो  मुंह में चांदी  का चम्मच लिए हुए पैदा हुए हैं। तो यही बात अरुण जेटली के ऊपर भी apply होती है।   उन्हें क्या मालूम कि एक किसान की रोटी कैसे चलती है।  कैसे वह अनाज पैदा करता है।  यह सब तो उसे मालूम होता है जो इन परिस्थितियों के मध्य से गुजरा हो या उसने नजदीकी से यह सब देखा हो।
जो मंत्री कई - कई एकड़ के भवन में रहते है ढेरो नौकर - चाकर उनके आगे पीछे लगे रहते हैं उन्हें क्या मालूम कैसे तिनका - तिनका जोड़ कर एक आदमी अपनी बिटिया के लिए जेवर खरीदता है।  और आपको उस पर भी टैक्स चाहिए।  क्योकि मुंह में खून जो लगा है उसका स्वाद कैसे भुला दे यह नेता लोग।
कोई बड़ी बात नहीं कि इस तरह से जेटली जी मोदी जी की राह में  में कांटे बिछा रहे हो ।
मोदी जी के राज्यसभा  में दिए गए धन्यवाद प्रस्ताव में पढ़ी  गई  निंदा फाजली की गजल के कुछ इस तरह के मायने तो नहीं हैं।
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो
निदा फ़ाज़ली

1 comment:

  1. Rastogi ji, Bharat me black money do hi jagah chal rahi hai. Ek Property aur dusra Sona. Property kharidna aaj kal aasan nahi rah gaya hai, sarkar sab check kar rahi hai. Baki bacha sona. Apko kya lagta hai ye sunar kab se garib janta ke sath ho liye jo 1 mahine se jyada apni dukane band karke baithe the. Wo bhi 1% excise duty ke liye. Thoda aur search kijiye aur is sabke bare me jankari badhiaye. Ye sab sarkar ki chal hai black money se sona kharidne walo ke khilaf.

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